अत्याधुनिक इलाज पर मेदांता के चिकित्सकों ने किया विस्तार से चर्चा
मेदांता लखनऊ व आईएमए बलिया के डाक्टरों ने किया सेमिनार का आयोजन

बलिया. आईएमए बलिया व मेदांता लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में किया गया संगोष्ठी का आयोजन शुक्रवार को हनुमानगंज के एक निजी होटल में किया गया. जिसमें मेदांता हॉस्पिटल ,लखनऊ से आए वरिष्ठ चिकित्सकों ने रोगों के अत्याधुनिक इलाज पर विस्तार से चर्चा किया.कहाकि समय से रोग की पहचान तथा उपचार जरूरी है अभी हम मानव शरीर को जीवन दे सकते हैं.

मेदांता हॉस्पिटल,लखनऊ के वरिष्ठ डाक्टरों ने शुक्रवार आईएमए के सहयोग से एक संगोष्ठी का आयोजन किया. जिसमें शहर के 65 वरिष्ठ डाक्टरों ने भाग लिया। मेदांता से आए डाक्टरों ने अत्याधुनिक इलाज की नई तकनीकों के बारे में चर्चा की.
मेदांता के मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अनीश श्रीवास्तव ने बताया कि किडनी की बीमारियों का सीरम क्रिएटिनिन, ब्लड यूरिया एवं ब्लड नाइट्रोजन जैसी सामान्य रक्त जांच से सही समय पर निदान किया जा सकता है। गुर्दे व मूत्र मार्ग में पथरी को अल्ट्रासाउंड के माध्यम से निदान किया जा सकता है। पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर बहुत ही सामान्य है. जिसे एक खून की जांच पी.एस.ए. के माध्यम से जल्द पकड़ कर इसका इलाज सम्भव है। डा. अनीश ने बताया मेदांता लखनऊ में किडनी ट्रांसप्लांट अत्याधुनिक तकनीक द्वारा किया जा रहा है जिसमें ए.बी.ओ. इनकम्पेटिबल व एच.एल.ए. मैचिंग सुविधा भी उपलब्ध है I

मेदांता के डाक्टर अभय वर्मा ने बताया कि पेट की कुछ गंभीर बीमारियां होती हैं, जिसकी लोग अनदेखी करते हैं। घर पर ही अजवाइन खाकर ठीक होने का इंतजार करते हैं। जब देर हो जाती है तो वे बड़े अस्पताल जाते हैं, जबकि यह गंभीर बीमारियां होती हैं। यह ऐसी बीमारियां हैं, जो जानलेवा साबित हो सकती हैं। मरीजों को कुछ लक्षणों को ध्यान रखना होगा। इनमें से कोई लक्षण दिखता है तो तुरंत गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए। खून की उल्टी आए या काली दस्त हो, तो इसका मतलब है कि पेट में अल्सर है या लिवर की बीमारी से खाने की नली में सूजना है या वो फट गई है। स्टूल में खून आना इसका मतलब है कि मरीज को टीबी या टाइफाइड है. कई बार आईबीडी (इंफ्लामेंटरी बाउल डिजीज) या बड़ी आंत के कैंसर में भी खून आता है। दस्त में खूब पानी निकलना: दस्त लग जाए और दस्त के साथ खूब पानी आए तो इसका मतलब है कि उसके आंत में इंफेक्शन हो गया है। कालरा के केस में भी ऐसा होता है। मेदांता हॉस्पिटल में जटिल लीवर ट्रांसप्लांट सर्जरी बहुत ही किफायती दरों पे संभव है ।

डॉ.राना चंचल ने बताया कि मस्तिस्क के विकास में सबसे बड़ी भूमिका ऑक्सीज़न की होती है। गर्भवस्था के दौरान शिशु का फेफड़ा कार्य नहीं करता है। मां जब सांस लेती है तो उसके खून में मौजूद ऑक्सीजन बच्चे के रक्त में जाता है। 6 हफ्ते के बाद गर्भ में पल रहे शिशु (भ्रूण) को ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए गर्भनाल विकसित हो जाता है। ये गर्भनाल अपरा या प्लेसेंटा से जुड़ी होती है। इससे बच्चे तक पोषण व ऑक्सीज़न युक्त रक्त पहुंचता है। इससे बच्चा विकास करता है। प्रसव के तुरंत बाद वातावरण में आते ही शिशु पहली बार सांस लेने के दौरान ही तुरंत रोता है। इसका प्रभाव उसके मानसिक स्वास्थ्य (मेंटल हेल्थ) के विकास के लिए भी अच्छा रहता है। बर्थ एस्फिजिया से करीब चार प्रतिशत शिशुओं की जन्म के दौरान ही मृत्यु हो जाती है।
गर्भ में पल रहे बच्चे को जरूरी पोषण व ऑक्सीज़न पूर्ण मात्रा में मिले इसके लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ गर्भवती की नियमित जांच कराने व प्रमाणित चिकित्सालय में प्रसव कराने की सलाह दी। ऐसी गर्भवती जिसके पिछली डिलीवरी के दौरान उसके शिशु को बर्थ एस्फिजिया हुआ था तो दूसरी डिलीवरी में इसकी संभावना बढ़ सकती है। जो गर्भवती एनेमिया, हाई या लो ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, प्रीक्लेम्पसिया या एक्लेम्पसिया या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित हैं उनका प्रसव उसी चिकित्सालय में कराएं जहां स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) की सुविधा उपलब्ध हो। ताकि प्रसव के दौरान जन्म लेने वाले शिशु को बर्थ एस्फिजिया होने पर उनका जीवन बचाया जा सके। डा राना ने बताया की मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ में विश्व स्तरीय लेवल 3 का एन आई सी यू उपलब्ध है.

इस मौके पर पीएमओ जयंत कुमार सदर अस्पताल के सीएमएस दिवाकर सिंह महिला अस्पताल की सीएमएस सुमिता सिन्हा के अलावा वरिष्ठ चिकित्सक अशोक कुमार सिंह डॉ. विनोद कुमार सिंह, डॉ बीके गुप्त, डॉक्टर आरबी गुप्त, डॉ. वीरेंद्र कुमार, डॉ. अजीत सिंह, डॉ. आशु सिंह, डॉक्टर डी प्रसाद, डॉ जितेंद्र कुमार सिंह, डॉ पीके सिंह, डॉ अमिता रानी आदि मौजूद रहे. इस अवसर पर आईएमए अध्यक्ष डा डी राय व सचिव डा एके गुप्ता ने मेदांता हॉस्पिटल की इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा भविष्य में भी ऐसी संगोष्ठी का आयोजन किया जाएग। डा. डी. राय व सचिव डा. एके गुप्ता ने मेदांता से आए सभी डाक्टरों को स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया।
