धुंए से आजादी की लौ अब पड़ने लगी है धीमी
बलिया: महिलाओं को चूल्हा-चौका के धूएं से आजादी दिलाने की महत्वाकांक्षी योजना उज्ज्वला की लौ बागी जिले में कमजोर पड़ने लगी है। गैस सिलिंडर रीफिलिंग की बढ़ती कीमत ने महिलाओं को एक बार फिर से लकड़ी और उपले जलाकर खाना बनाने को विवश कर दिया है। वे दिनभर लकड़ी और उपले का जुगाड़ करती हैं, फिर घर में दो वक्त का भोजन बनता है। उज्ज्वला योजना लाभ उठाने वाली गृहणियों का कहना है कि मेहनत- मजदूर कर दो जून की रोटी की व्यवस्था कर पाना मुश्किल हो रहा है।

जिले में करीब एक लाख 75 हजार लाभार्थियों को उज्ज्वला योजना के तहत नि:शुल्क गैस कनेक्शन दिया गया है, लेकिन वर्तमान समय में एलपीजी की बेरोकटोक बढ़ती कीमतों ने एक बार फिर महिलाओं को घर का धुंए वाला चूल्हा फूंकने को मजबूर कर दिया है। वर्तमान में प्रति गैस सिलिंडर 1184 रुपये का आ रहा है। ऐसे में लाभार्थी गैस सिलेंडर नहीं भरा पा रहे हैं। हालांकि रसोई गैस मुहैया कराने वाली कंपनियों का दावा है कि जिले में 80 फीसदी से अधिक लाभार्थी गैस की रिफीलिंग करा रहे हैं।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मई 2016 को इसी बागी बलिया की धरती से से उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी। योजना के तहत गरीब महिलाओं को सरकार की ओर से निः शुल्क रसोई गैस कनेक्शन व चूल्हा दिया गया था। तब इससे महिलाएं काफी उत्साहित थी, लेकिन रसोई गैस के दामों में इन दिनों हुई बेहतशा वृद्धि से उनकी खुशी ही काफूर हो गई।

लाभार्थी अनिता देवी की माने तो गांव के जंगलों से चुनी हुई लकड़ी और उपला से चूल्हे पर किसी तरह खाना बनता है। गैस सिलिंडर महंगा हो गया है और 1184 रुपये जुट नहीं पाता कि उसे भरवाया जाए।
सरकार ने रसोई गैस इतनी महंगी कर दिया कि सिलिंडर को भरवाना गरीबों के वश का नहीं है। उपला और बिनी हुई
लाभार्थी धनपतो देवी का कहना है कि लकड़ी पर ही खाना बनाती है। रसोई गैस सिलिंडर महंगा हो गया है। सरकार द्वारा भले गरीबों को उज्जवला योजना के तहत रसोई गैस सिलेंडर मुफ्त दिए गए, लेकिन महंगाई से उनका रिफिलिंग मुश्किल हो गया है।
जानमसती देवी का कहना है कि सरकार वोट के लिए फ्री गैस सिलिंडर दे दिया। वोट लेने के बाद गैस का दाम बढ़ा दिया। गांव में भी काम मशीन से होने लगा। बाग से लकड़ी चुनकर लाती हूं तो खाना बनता है।