बागी बलिया के खिलाड़ियों ने अपने कौशल का मनवाया लोहा

नेपाल सोतोकान कराते फेडरेशन के तत्वावधान में 14 वाँ आमंत्रण सोतोकान इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप का आयोजन नेपाल के राजधानी काठमांडू के दशरथ रंगशाला स्टेडियम में 26 मई से लेकर 29 मई 2023 तक हो रहा है. इस प्रतियोगिता में भारत के प्रतिनिधित्व करते हुए बागी बलिया के खिलाड़ियों ने अपने हुनर और जोश का लोहा मनवाया है और शानदार प्रदर्शन करते हुए 6 गोल्ड व 2 ब्रांज मेडल जीत कर अपने जिले और भारत का नाम रौशन किया है ये बाते स्पोर्ट्स शोतोकान कराते एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के महासचिव एल बी रावत ने बताई है.

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डीएम ने देखी महिला अस्पताल की सच्चाई, सीएमएस को दी शाबाशी

7007809707 for Ad Booking sunbeam 23-24sunbeam 23-24 7007809707 for Ad Booking Views: 143 MDITech BannerIEL-BalliaDR Service Center बलिया। जिलाधिकारी रवीन्द्र

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मतदाताओं में उत्साह की कमी, नपं चितबड़ागांव में सबसे अधिक मत प्रतिशत

नगर निकाय चुनाव के लिए जिले के मतदाता उत्साह के साथ मतदान कर रहे है । तीन बजे तक जिले में 45.35 प्रतिशत मतदान हुआ है।एक बजे के बाद पड़े मतदान में चितबड़ागांव के मतदाताओं ने काफी उत्साह दिखाया। तीन बजे तक सबसे अधिक मतदान 53.49 प्रतिशत चितबड़ागांव में रहा।बलिया- 38.18रसड़ा- 51.87चितबडागांव- 53.49नगरा- 43.32बेल्थरा- 52.63सिकंदरपुर- 48.81 मनियर- 45.84बांसडीह- 47.18 सहतवार- 49.08रेवती- 50.57बैरिया- 46.56रतसर कलां- 44.44 फीसदी मत पड़े थे.इससे साफ़ दिख रहा की किसको लोग नहीं चाह रहे हैं.

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सनबीम स्कूल: मॉनिटर्स सेरेमनी का हुआ आयोजन

: अनुशासन और दायित्व छात्र जीवन की पहली प्राथमिकता है। और उत्तरदायित्व उन्हें कर्तव्यों का बोध कराती है। सनबीम प्रबंधन अपने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए ना सिर्फ जागरूक है वरन् पूरी तत्परता से प्रयासरत भी है। किशोरावस्था मानव जीवन की सबसे क्रान्तिकारी अवस्था होती है ऐसे में उनकी ऊर्जा का समुचित उपयोग कराने के लिए सही दिशा निर्देश और उत्तरदायित्वों का बोध करा कर ही एक सभ्य और सुशिक्षित समाज की स्थापना की जा सकती है तथा उनके भविष्य को सही आकार दिया जा सकता है।

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सात घंटे पहले आकांक्षा दुबे का पवन सिंह के साथ इधर रिलीज हुआ नया गाना, उधर एक्ट्रेस ने दुनिया को कहा अलविदा

भोजपुरी अभिनेत्री व मॉडल आकांक्षा दूबे ने बनारस के एक होटल में आत्महत्या कर ली है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आकांक्षा दुबे का शव एक होटल में लटकता पाया गया है।

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भगत सिंह: आजादी के इस मतवाले के कितने रूप

जब हम तथाकथित प्रगतिशील लेखक की एक बहुचर्चित फिल्म देखते हैं तो जान पाते हैं कि गांधी का हत्यारा गोडसे इस गुस्से में गांधी का कत्ल कर देता है कि गांधी ने भगत सिंह को फांसी से बचाने का कोई उपाय तो नहीं ही किया, अंग्रेज हुकूमत के इस क्रूरतम कृत्य की निंदा तक नहीं की। गोडसे का महिमा मंडन करने के लिए खास तौर पर बनाई गई उस फिल्म में गोडसे अदालत में बहस के दौरान गांधी की हत्या पर अपनी सफाई के क्रम ऐसा कहते देखा जाता है और तब हम यह सोचने को मजबूर होते हैं कि यदि यह सच है तो गांधी ने सचमुच गलत किया। लेकिन जब हम भगत सिंह पर सर्च करते हैं तो फिल्म की पटकथा का यह अंश कोरा बकवास पाया जाता है।
आज जब हम शहीद ए आजम भगत सिंह की शहादत के दिन उन्हें याद कर रहे हैं तो ढेर सारे ऐसे अनछुए पहलुओं पर भी गौर करना लाजिमी है जो भगत सिंह को जोड़ते हुए झूठ फैलाया गया। वाकई जब हम भगत सिंह को याद करते हैं और उनकी ही लिखी पुस्तकों को पढ़ते हैं तो भगत सिंह में सिर्फ आजादी के लिए मर मिटने वाले मतवाले का अकेला रूप नहीं पाते। मात्र 23 साल आठ महीने का यह नौ जवान बहुत आयामी व्यक्तित्व का भंडार दिखता है जिसमें ज्ञान अर्जन की ऐसी ललक होती है कि फांसी के वक्त तक किताबें पढ़ना नहीं छोड़ता। सोचिए! मौत के लिए फांसी का फंदा सामने हो, मृत्यु के बाद की अज्ञात दुनिया से अनभिज्ञ भगत सिंह फांसी के लिए बुलावा आने पर जेलर से पढ़ रहे पुस्तक के बाकी दो चार पेज खत्म करने की अनुमति मांग रहे हों। दरअसल इसके पीछे उनका मकसद समाज में ज्ञान का महत्व बताना था। आज जब व्यक्ति का जीवन भागते दौड़ते मशीन सा हो गई है, लोगों में किताबें पढ़ने की आदत न के बराबर रह गई हो,तब भगत सिंह के जेल में रहकर भी किताबों के पढ़ते रहने की आदत हमें प्रेरणा देती है कि मृत्यु के बाद भी यदि आप जिंदा रहना चाहते हैं तो वह आपके विचार और दुनिया को दिया आपका संदेश ही आपको जीवित रखते हैं। ऐसे लोग कभी नहीं मरते, जैसे भगत सिंह।
लाहौर के सेंट्रल जेल में भगत सिंह अपनी छोटी जिंदगी के हिस्से से 716 दिन गुजारे हैं। इस दौरान उन्होंने जेल के लायब्रेरी की सारी की सारी किताबें पढ़ डाली। भगत सिंह ने स्वयं को किताबों तक ही नहीं सीमित रखा। उनकी दृष्टि समाज के हर पहलू पर थी। तभी तो उन्होंने गांधी को भी समझ लिया और नेहरू को भी। यह सर्वविदित है कि भगत सिंह की फांसी की तिथि 24 मार्च तय थी लेकिन उनकी फांसी के बाद संभावित विद्रोह से घबड़ाई ब्रिटिश हुकूमत ने एक रोज पहले यानी 23 मार्च को उनके दो और मतवाले राज गुरु और सुखदेव के साथ फांसी दे दी।
इतिहास कार प्रो.राम पुनियानी जिनका भगतसिंह पर गहरा अध्ययन है, कहते हैं कि भगत सिंह ने बहुत छोटी उम्र में बहुत कुछ हासिल कर लिया था। चिर युवा अवस्था में वे देश की आजादी की जल्दबाजी में थे इसलिए हिंसात्मक आंदोलन के पक्षधर हुए। पंजाब में तैनात अंग्रेज अफसर सांडर्स मर्डर केस जिसमें वे गहन पुलिसिया तफ्तीश में मुजरिम पाए जाते हैं,यह उनके हिंसात्मक आंदोलन का हिस्सा हो सकता है तो मजदूर विरोधी विल के विरोध में असेंबली में किया गया बम धमाका उनके अहिंसावादी आंदोलन का सबूत है। बम धमाका को अहिंसावादी आंदोलन कैसे कह सकते हैं,यह सवाल जरूर मन में कौंधने वाला है लेकिन वह सोची समझी रणनीति के तहत ऐसा बम धमाका था जिसमें कोई मानव छति नहीं हुई थी। बम को जान बूझकर ऐसे जगह फोड़ा गया था जहां से किसी नुकसान की गुंजाइश जरा भी न हो। ऐसा करने के पीछे भगत सिंह की मंशा उन बहरों को जगाना रहा होगा जो अंग्रेजों का जुल्म सहते जा रहे थे लेकिन जरा भी चूं नहीं करते थे। उस रोज तो हद थी जब मजदूरों के नियंत्रण संबंधी विल पारित होना था। भगत सिंह इसके सख्त खिलाफ थे। जब हम भगत सिंह को स्वतंत्रता संग्राम का महान सेनानी कहते हैं तो यह जान लेना जरूरी है कि उनका मतलब सिर्फ देश को अंग्रेजों से मुक्त कराना भर नहीं था। वे गरीबी के खिलाफ भी लड़ रहे थे,भूख,भय और भ्रष्टाचार से आजादी चाहते थे। उनके समाजवाद में मजदूर, किसान, व्यापारी, उद्योगपति, अमीर, गरीब सबके लिए बराबरी की बात थी। वे एक साथ गुलामी के कई आयामों से लड़ रहे थे।

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सनबीम एप्रिसिएशन एंड कॉनफ्लूएंस अवार्ड- 2023: लगातार दूसरे बार “बेस्ट सनबीम स्कूल ऑफ़ द ईयर” समेत अनेकों पुरस्कार पर सनबीम स्कूल बलिया का कब्जा

बलिया के अगरसंडा ग्राम स्थित सनबीम स्कूल ना केवल बलिया में अपितु *सनबीम ग्रुप ऑफ एसोसिएशन द्वारा संचालित पूर्वांचल के सभी जिलों में अपनी कार्यशैली और उपलब्धियों के दम पर शीर्ष शिखर पर अपना स्थान बनाए हुए है। जिले के लिए यह अत्यंत गर्व की बात है कि 22मार्च 2023 को वाराणसी में डी एच के एडुसर्व द्वारा आयोजित *एप्रिसिएशन कॉनक्लेव 2023* में सनबीम बलिया ने अपनी विशिष्टता का डंका बजावा दिया। यह विद्यालय प्रबंधन का कुशल नेतृत्व और दूरगामी सोच का नतीजा है कि सनबीम बलिया इस कॉनक्लेव में उत्तरप्रदेश के कई अन्य जिलों में संचालित सनबीम स्कूलों में अग्रणी रहा।

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विभिन्न खेलों के साथ रैली का समापन, नयनाभिराम प्रस्तुति

मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कल्पलता पांडेय ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम के शुरुआत की घोषणा की इसी के साथ शुरू हो गया रोवर्स, रेंजर्स छात्र-छात्राओं के प्रदर्शन का सिलसिला।पूरे दिन चले कार्यक्रम में रोवर्स रेंजर्स ने अपनी टीमों के प्रदर्शन को उत्कृष्ट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।मेजबानी कर रहे टाउन महाविद्यालय की रोवर्स रेंजर्स टीम की अगुआई में विभिन्न महाविद्यालयों से जुटी टीमों ने मार्च पास्ट कर स्काउट झंडे व मुख्य अतिथि को सलामी दी। साथ ही संगीत विभाग के छात्रों ने सरस्वती वंदना, स्वागत व कुलगीत प्रस्तुत किया। इसके बाद शुरू हुए कार्यक्रमों के दौर में छात्र-छात्राओं ने लघु नाटक कैंप फायर (लोकगीत- लोकनृत्य) का आकर्षक मंचन प्रस्तुत किया। टीमों के बीच प्राथमिक सहायता, निबंध, पायनरिंग प्रोजेक्ट, पोस्टर, क्विज व निबंध आदि प्रतियोगिताएं संपन्न कराई गई। इसके अतिरिक्त रोवर्स रेंजर्स ने नाइट स्काउटिंग, क्रू टीम इन काउंसिल, कलर पार्टी (ध्वज शिष्टाचार एवं पासिंग आउट परेड) आदि का प्रदर्शन किया। मुख्य अतिथि कुलपति कल्पलता पांडेय ने रोवर्स रेंजर्स टीम का उत्साहवर्धन करते हुए अपनी संचित ऊर्जा का उपयोग समाज हित में करने पर जोर दिया।महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो़ रवीन्द्र नाथ मिश्र ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बच्चों का विकास पढ़ाई के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक कामों में हिस्सा लेकर हो सकता है।आयोजन सचिव प्रोफेसर धर्मेद्र सिंह कहा कि रोवर्स रेंजर्स हमारे जीवन में बहुत ही आवश्यक अंग होता है यह हमें लोगों में समाज सेवा के साथ-साथ लोगों की सेवा तथा लोगों को उठने बैठने तथा संयमित रूप से अपनी दिनचर्या जीने का भी राह दिखाता है। प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री राकेश कुमार श्रीवास्तव ने सभी से एक अच्छे रोवर्स रेंजर्स बनने की अपील की तथा उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।इस मौके पर टाउन महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ दिलीप श्रीवास्तव सतीश चंद्र महाविद्यालय के प्रचार्य डा. वैकुंठ नाथ पांडेय, जनपदीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर अखिलेश राय,महामंत्री डा.अवनीश पांडेय, प्रो अमलदार नीहार, प्रोफेसर जैनेंद्र पांडेय,प्रो अशोक कुमार सिंह, प्रोफेसर बृजेश कुमार सिंह,रोवर्स प्रभारी डॉ संदीप कुमार पांडेय,डॉ सुबोध मणि त्रिपाठी,रेंजर्स प्रभारी डॉ सुनीता चौधरी ,सहायक जिला आयुक्त निर्भय नारायण सिंह सहित बड़ी संख्या में प्राध्यापक व छात्र उपस्थित थे। मंच का संचालन प्रोफेसर दयालानन्द राय ने किया। कार्यक्रमों का संचालन नौशाद अली ने किया।कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन स्काउट गाइड जिला मुख्यालय आयुक्त प्रोफेसर निशा राघव ने दिया।

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सनबीम स्कूल में स्प्रिंग स्पोर्ट्स कैंप ‘जोश’ का शुभारंभ, चमके छात्र

शिक्षा का उद्देश्य न केवल बौद्धिक क्षमता को विकसित करना अपितु सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक रुप से विकसित करना होता है। यही कारण है कि विद्यालयी पाठ्यक्रम में क्रीड़ा को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
बलिया जिले के अगरसंडा ग्राम स्थित सनबीम स्कूल विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर अत्याधिक बल देता है,इसी कारण विद्यालय द्वारा समय समय पर विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास के लिए विभिन्न प्रकार की क्रियात्मक गतिविधियों का आयोजन किया जाता रहता है।

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श्रीराम चंद्र मिशन और हार्टफुलनेस सेंटर का तीन दिनी ध्यान शिविर 10 से –

संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से श्रीराम चंद्र मिशन और हार्टफुलनेस सेंटर के तत्वावधान में तीन दिनी विशेष ध्यान शिविर का आयोजन 10 मार्च से किया गया है। आयोजन आमडारी में स्थित श्रीराम चंद्र मिशन और हार्टफुलनेस सेंटर के जिला मुख्यालय पर आयोजित है। विशेष शिविर का उद्घाटन जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार करेंगे।

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