लुंबिनी यात्रा से पीएम मोदी ने साधे एक साथ कई निशाने

7007809707 for Ad Booking
ca
ca
Sunbeam 23-24
Sunbeam 23-24
ca
ca
sunbeam 23-24
sunbeam 23-24
previous arrow
next arrow
Shadow
7007809707 for Ad Booking

16 मई बुद्ध पूर्णिमा के दिन भारत के प्रधानमंत्री मोदी का नेपाल में भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी आगमन कई मायने में अहम रहा। लुंबिनी यानी बुद्ध के जन्मस्थली तक जाने के लिए बुद्ध के परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर होकर जाना भी बस “यूं ही” नहीं था। बुद्ध का जन्मस्थान और परिनिर्वाण स्थल एक दूसरे के बेहद करीब है। दोनों का फासला एक दूसरे से बमुश्किल 70 किमी ही है। अंतर यह है कि परिनिर्वाण स्थल भारत के कुशीनगर में है और जन्मस्थान नेपाल के लुंबिनी में है। नेपाल में तो बुद्ध की जन्मस्थली भर है जबकि भारत में बुद्ध से जुड़े तमाम स्थल मौजूद हैं। एक तो लुंबिनी से मात्र 20 किमी की दूरी पर जिला सिद्धार्थनगर के नेपाल सीमा पर है जिसे हम कपिलवस्तु के नाम से जानते हैं। कपिलवस्तु बुद्ध के पिता शुद्धोधन की राजधानी है जिसकी शिनाख्त 1980 में पिपरहवा नामक गांव के टीले की खुदाई के बाद हुआ। केंद्र और प्रदेश सरकार की अरुचि के चलते इस स्थल का वैसा विकास नहीं हो सका जैसा कि चाहिए। जिले के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता भी कम नहीं रही। भारत में बुद्ध के नाम पर कुशीनगर, बौद्ध गया, सारनाथ तथा श्रावस्ती का विकास जरूर हुआ लेकिन हम दुनिया के बुद्ध अनुयायियों को इस ओर आकर्षित करने में उतने कामयाब नही हो सके जितना कि नेपाल लुंबिनी की ओर बुद्ध अनुयायियों को अपनी ओर आकर्षित करने में हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी का वाया कुशीनगर लुंबिनी जाने के पीछे एक बड़ा मक्शद न केवल कुशीनगर भारत में स्थित सभी बौद्ध तीर्थ स्थलों को लुंबिनी के समतुल्य स्थापित करना है। बुद्ध के परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण के पीछे का असल मकसद भी यही है। लुंबिनी में पीएम मोदी ने अपने संबोधन में लुंबिनी और भारतीय बौद्ध स्थलों का जिक्र कर सभी का एक सर्किट बनाने पर जोर दिया। लुंबिनी नेपाल का एक ऐसा धरोहर है जिसके जरिए नेपाल के खजाने में विदेशी मुद्रा की बड़ी खेप अर्जित होती है। भारत अपने बुद्ध स्थलों को इस लायक नहीं बना सका। बुद्ध पूर्णिमा को लुंबिनी पंहुच कर पीएम मोदी ने इस दिशा में प्रयास की शुरुआत की है।

MDITech Banner
IEL-Ballia
DR Service Center
MDITech Banner
MDITech Banner
IEL-Ballia
IEL-Ballia
DR Service Center
DR Service Center
previous arrow
next arrow
Shadow

मोदी का नेपाल दौरा और भी कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। भारत – नेपाल के रिश्ते को दुनिया रोटी बेटी के रिश्ते की दृष्टि से देखती है। पिछले कुछ सालों में दोनों देशों की सरकारों के बीच मनमुटाव से इस रिश्ते में खटास आई है। दोनों देशों के बीच तनाव पहले भी होते रहे लेकिन यह दोनों देशों के उच्च प्रशासनिक और राजनीतिक बैठकों से हल कर लिए जाते थे। दशकों पूर्व दोनों देशों के बीच ऐसी एक समन्वय समिति भी गठित था जिसके तहत कभी भारत तो कभी नेपाल ऐसी बैठकों की मेजबानी करता था और मिल बैठकर तमाम गलतफहमियां दूर कर लेता था। कई सालों से ऐसी कोई बैठक हुई ही नहीं नतीजा दोनों ओर से गलतफहमियां बढ़ती गई। प्रधानमंत्री मोदी पहले ऐसे भारतीय प्रधानमंत्री हैं जो अपने अबतक के कार्यकाल में सर्वाधिक पांच बार नेपाल का दौरा कर चुके हैं। जाहिर है इसका असर दोनों देशों के संबंधों पर पड़ेगा ही। मधुरता और प्रगाढ़ता का दौर फिर शुरू होगा। मोदी और नेपाली पीएम देउबा ने एक स्वर से ऐसी संभावना जताई है।

alam
alam
alam
alam
alam
alam
previous arrow
next arrow
Shadow

राजशाही शासन से मुक्ति के बाद भी नेपाल में स्थिर सरकार स्थापित नहीं हो सकी। अभी की जो देउबा सरकार है वह पांच दलों के सहयोग से है जिसमें पूर्व में भारत विरोधी रहे प्रचंड गुट का नेकपा माओवादी भी शामिल है तो केपी शर्मा ओली से अलग होकर समाजवादी कम्युनिस्ट पार्टी बना लेने वाले माधव कुमार नेपाल भी हैं। नेपाल में लोकतंत्र बहाली के बाद भी लोकतंत्र का मजबूत न होना भारत और नेपाल के रिश्तों में बड़ा रोड़ा है। इसका फायदा चीन ने खूब उठाया और उसने नेपाल में भारत के खिलाफ जहर घोलने की भरपूर कोशिश की। दुर्भाग्यवश नेपाल में यदा-कदा सत्तासीन हुई कम्युनिस्ट पार्टियों ने भी इसमें रुचि दिखाई। कहना न होगा इधर भारत का नेपाल में बढ़-चढ़कर दिलचस्पी लेने से चीन बौखलाया हुआ है।अभी कुछ रोज पहले नेपाल के पीएम देउबा का भारत जाना और उसके कुछ रोज बाद ही भारत के पीएम का नेपाल आना चीन को शायद ही रास आया हो लेकिन इस सबकी परवाह न करते हुए मोदी ने लुंबिनी आने के लिए भैरहवा में चीन द्वारा निर्मित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का इस्तेमाल न कर चीन के प्रति अपने नजरिए का संकेत दिया है। यह संकेत नेपाल के उन राजनीतिक दलों को भी है जो स्वयं को चीनी परस्त होने में गर्व महसूस करते हों। मोदी जब नेपाल में थे तब वहां के निकाय चुनावों के परिणाम आ रहे थे। यह चुनाव परिणाम भारत के लिए चौंकाने वाले हैं क्योंकि भारत सीमा से सटे नेपाल के कई गांव और नगर पालिकाओं में कम्युनिस्ट पार्टियां अपना झंडा फहराने में कामयाब हुए हैं।

Yashoda

यशोदा श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार

7007809707 for Ad Booking
holipath
holipath
dpc
dpc
holipath
holipath
dpc
dpc
previous arrow
next arrow
Shadow
mditech seo
MDITech creative digital marketing agency
mditech seo
mditech seo
MDITech creative digital marketing agency
MDITech creative digital marketing agency
previous arrow
next arrow
Shadow
9768 74 1972 for Website Design and Digital Marketing

Pradeep Gupta

Nothing but authentic. Chief Editor at www.prabhat.news