सादगी भरी जिंदगी जीती हैं रेलवे बोर्ड की पहली महिला चेयरमैन, जानें किस वजह से मिली ये बड़ी जिम्मेदारी

बोर्ड की चेयरमैन की कमान बलिया की बेटी को, बनी बोर्ड की पहली महिला चेयरमैन
भारतीय रेलवे बोर्ड के इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब किसी महिला के हाथों में रेलवे बोर्ड की कमान आई है. रेलवे बोर्ड की चेयरमैन के तौर पर गुरुवार को जया वर्मा सिन्हा के नाम की घोषणा की गई थी. 1 सितंबर 2023 को उन्होंने अपना पदभार ग्रहण कर लिया है. उन्होंने अनिल कुमार लाहोटी की जगह ली है. जया अब तक रेलवे बोर्ड में सदस्य (संचालन और व्यवसाय विकास) के तौर पर सेवाएं दे रही थीं. चेयरमैन के रूप में जया का कार्यकाल पूरे 1 साल का होगा.
बेहद सादा जीवन जीती हैं जया
बात करें इनकी पर्सनल लाइफ की तो ये काफी सादा जीवन जीती हैंं। जया वर्मा की शादी जमशेदपुर के सोनारी के साकेत विहार निवासी नीरज सिन्हा से हुई है, जो एक आईपीएस अफसर हैं। इसके साथ ही जया वर्मा के ससुर मेजर सीबी सिन्हा ज्यादातर अपने बेटे-बहू के पास ही रहते हैं। सिन्हा दंपती की एक पुत्री है, जो अभी पढ़ाई कर रही है।
इसलिए सौंपा गया कार्यभार
1988 बैच की जया वर्मा ने उस वक्त रेलवे का भार संभाला है, जब केंद्र सरकार की तरफ से रेलवे को वर्ष 2023-24 के लिए अभी तक के रेलवे के बजट का सबसे ज्यादा बजट आवंटित हुआ है। ओडिसा के बालासोर में हुए हादसे के वक्त वो काफी एक्टिव रहीं थीं। उन्होंने हादसे के बाद पल-पल की खबर रखी थी, और जरूरत को देखते हुए कई फैसले लिए थे। उनकी सक्रियता को देखते हुए ही रेलवे बोर्ड ने चेयरमैन के पद के लिए जया वर्मा के नाम पर मुहर लगा दी है।

जया से पहले विजयलक्ष्मी विश्वनाथन रेलवे बोर्ड की पहली महिला सदस्य के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुकी हैं. लेकिन जया बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष और सीईओ के तौर पर जानी जाएंगीं. आइए आपको बताते हैं जया वर्मा सिन्हा के बारे में.कई बड़े पदों पर रह चुकीं हैं जयारेलवे बोर्ड की पहली महिला चेयरमैन जया वर्मा सिन्हा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है. वे 1988 बैच की अधिकारी हैं. पिछले 35 साल से वो रेलवे में कार्यरत हैं और दक्षिण पूर्व रेलवे, उत्तर रेलवे और पूर्व रेलवे में कई महत्वपूर्ण पदों को संभाल चुकी हैं. कोलकाता से ढाका के बीच चलने वाली मैत्री एक्सप्रेस का उद्घाटन उन्हीं के कार्यकाल का माना जाता है. उस वक्त वे ढाका में स्थित भारतीय दूतावास में रेलवे सलाहकार पद पर थीं.

कोरमंडल एक्सप्रेस हादसे के समय निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
हाल ही में बालासोर में हुए कोरमंडल एक्सप्रेस हादसे के समय में जया वर्मा सिन्हा ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उस समय वो काफी एक्टिव रही थीं और पूरे घटनाक्रम पर उन्होंने खास नजर बनाकर रखी थी. उस समय उनकी काफी तारीफ हुई थी. जया ने ही पीएमओ में भी घटना का प्रजेंटेशन दिया था. रेलवे बोर्ड की चेयरमैन के तौर पर जया का कार्यकाल 31 अगस्त 2024 तक रहेगा.
अनिल कुमार लाहोटी ने इसी साल ग्रहण किया था पद
जया वर्मा सिन्हा से पहले रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के तौर पर अनिल कुमार लाहोटी पद संभाल रहे थे. उन्होंने इसी साल 1 जनवरी को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ का कार्यभाल संभाला था. 1984 बैच के रेलवे अधिकारी अनिल कुमार लाहोटी का कार्यकाल 31 अगस्त 2023 को समाप्त हुआ है. रेलवे बोर्ड में उनकी एंट्री 17 दिसंबर 2022 को सदस्य इंफ्रास्ट्रक्चर के तौर पर हुई थी.

पहली महिला चेयरमैन रेलवे बोर्ड (सीआरबी) जया वर्मा सिन्हा का बलिया यानी भृगुनगरी व प्रयागराज यानी संगमनगरी से गहरा रिश्ता रहा। प्रयागराज में ही उनका जन्म हुआ। स्कूली शिक्षा से लेकर स्नातक एवं परास्नातक भी उन्होंने प्रयागराज से ही किया। उनके पिता वीबी वर्मा सीएजी ऑफिस में क्लास वन अफसर रहे। इसी तरह उनके बड़े भाई जयदीप वर्मा भी यूपी रोडवेज में क्लास वन अफसर रहे। सेवानिवृत्त होने के बाद फिलहाल वह लखनऊ में ही अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। उनका पैतृक गांव बलिया जिले के सिकंदरपुर तहसील में है.

प्रयागराज में जन्मीं जया का पैतृक निवास अल्लापुर स्थित बाघंबरी हाउसिंग स्कीम में है। बचपन से ही मेधावी रहीं जया की स्कूली शिक्षा सेंट मेरी काॅन्वेंट इंटर काॅलेज से हुई। उसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी (पीसीएम) की। उन्होंने परास्नातक की पढ़ाई भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही की। यहां से उन्होंने मनोविज्ञान से परास्नातक किया। जया के बड़े भाई जयदीप वर्मा भी यूपी रोडवेज में क्लास वन अफसर रहे। प्रयागराज में भी जयदीप ने कई वर्ष यूपी रोडवेज के सेवा प्रबंधक के रूप में काम किया। जय वर्मा जो इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस की 1986 बैच की आईआरटीएस अफसर हैं। 1988 में उनकी रेल सेवा शुरू हुई।