वकीलों ने कलक्ट्रेट में फूंका गृहमंत्री का पुतला

अधिवक्ता बोले, ग्राम न्यायालय के नाम पर न्याय बेचने की हो रही है साजिश
बलिया: दी सिविल बार एसोसिएशन तथा क्रिमिनल एंड रेवेन्यू बार एसोसिएशन के संयुक्त बार एसोसिएशन ने आजमगढ़ बार एसोसिएशन के आह्वान पर सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर गृह मंत्री का पुतला दहन किया. इस दौरान अधिवक्ताओं ने केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके उपरांत अधिवक्ताओं का प्रतिनिधिमंडल संयुक्त बार के अध्यक्ष देवेंद्र दुबे तथा देवेंद्र नाथ मिश्रा के नेतृत्व में जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम संबोधित पत्रक सौंपा. इस दौरान सौपे गए पत्रक में वकीलों ने उल्लेख किया है कि बलिया जनपद में बिल्थरारोड, सिकंदरपुर, बैरिया, रसड़ा तहसील मुख्यालय में सिविल जज जूनियर डिविजन की नियुक्ति को निम्नलिखित कारणों से विरोध दर्ज करा रहे हैं.

नौ सूत्रीय ज्ञापन में वकीलों ने उल्लेखित किया है कि तहसील स्तर पर बनने वाले ग्राम न्यायालयों में न तो अधिवक्ताओं के लिए लाइब्रेरी की स्थापना हुई है नहीं अधिवक्ताओं के बैठने के लिए उचित स्थान है. हेड क्वार्टर पर सिविल जज जूनियर डिविजन के प्रभावशाली व्यक्तियों का दबाव रहेगा. जिससे निर्धन को न्याय मिलना असंभव रहेगा. क्रिमिनल बार के अध्यक्ष देवेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि पंचायती राज एक्ट 1947 में पंचायत न्याय पंचायत स्तर पर ₹2000 तक के क्षेत्राधिकार वाले करने की व्यवस्था बनाई गई. लेकिन 40 वर्ष में किसी भी न्याय पंचायत द्वारा गरीबों को कोई न्याय पंचायत मुख्यालय पर न्याय नहीं मिल सका. सिविल बार के अध्यक्ष देवेंद्र कुमार दुबे ने कहा कि उच्च न्यायलय या माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यदि फौजदारी मुकदमे के किसी केस में सेम डे जमानत पर निस्तारण का आदेश होता है तो वैसी दशा में तहसील मुख्यालय पर जमानत प्रार्थना पत्र देकर तथा उसको निस्तारित कराकर पुनः उसी दिन सेसन जज बलिया में जमानत का प्रार्थना पत्र दे ना और उसी दिन सुनवाई करवाना नामुकिन है। कहा कि तहसील मुख्यालय पर सिविल जज (जू0डि0) की स्थापना करना और वहाँ से बिना सुयोग्य अधिवक्ता के राय व बहस न्याय पाना भी असम्भव है और यदि तहसील मुख्यालय पर वाद या प्रतिवाद पत्र दाखिल होता है और सुयोग अधिवक्ता के अभाव में वाद का निस्तारण / निर्णय होता है और यदि पीड़ित पक्ष अपील से न्याय की उम्मीद करता है तो वह भी असम्भव है. क्योंकि यदि वाद पत्र / प्रतिवाद पत्र सही ढंग से प्रस्तुत नहीं किया जायेगा और साक्षियों का प्रतिपृच्छा सही ढंग से नहीं की जायेगी तो उसकी दुरूस्तगी प्रथम अपीलीय न्यायालय में या द्वितीय ओपलीय न्यायालय में सम्भव नहीं है। इस प्रकार पीड़ित व्यक्ति की अपूर्तनीय क्षति होगी और उसके लिए ग्राम न्यायालय की स्थापना अभिशाप साबित होगी।कहा कि जिला मुख्यालय बलिया से सभी तहसील मुख्यालय की दूरी लगभग 30-35 किमी पर है, इसलिए वादकारियों का आज के युग में जिला मुख्यालय पहुँचना मुश्किल नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों से भी वादकारी सुबह 08:00 बजे 09:00 बजे के बीच अपने सम्बंधित अधिवक्ता के यहाँ जिला मुख्यालय पर पहुँच जाते हैं, इसलिए ग्राम न्यायालय की स्थापना जिस सोच से बनायी गयी है वह आज के युग में विफल है और वादकारी को जिला मुख्यालय पहुँचने में कोई अड़चन नहीं है। इस मौके पर क्रिमिनल एण्ड रेवेन्यू बार एसो के महासचिव अनिल मिश्र, कुबेर नाथ पाण्डेय, उमाशंकर तिवारी, भुवाल सिंह, संजय सिंह, धनंजय सिंह, रजनीकांत चौबे, श्री शंकर राम फौजदार, सत्यप्रकाश यादव, अरविन्द सिंह, सत्येंद्र सिंह आदि मौजूद रहे.
